प्रेम अनंत (Amor Eterno)
पहला पद
भोर के आसमान तले, केसरिया रंगों में,
तुम्हें नृत्य करते देखूं, माया की छाया में।
हवा की सरसराहट में, तेरी आवाज सुनूं,
कहती है: \"हम अकेले नहीं हैं।\"
गंगा की धाराओं में, मेरा प्रेम बहता,
अनंत काल में, जहां समय ठहरता।
जीवन के चक्र में, मेरा दिल विश्राम पाता,
क्योंकि प्रेम ही है जो कभी नहीं टूटता।
कोरस
ओह, प्रेम अनंत, जीवन से परे प्यार,
जहां आत्मा पाती है, वादा किया हुआ प्रकाश।
समय से परे, माया के परदे में,
हमारा प्रेम खिलता है, कभी नहीं मिटता।
दूसरा पद
सूरज और चाँद की नृत्य लीला में,
मेरी आत्मा ढूंढती है, और सदा तेरी है।
कमल के फूल में, जो मौन में खिलता,
तेरा पावन नाम, सारा ब्रह्मांड पूजता।
मंदिर की घंटियाँ बजती हैं, भाग्य के द्वार पर,
हमारे दिल चलते हैं, एक ही राह पर।
मृत्यु भी हमें अलग न कर सकेगी,
क्योंकि आत्मा जानती है, वो लौट आएगी।
कोरस
ओह, प्रेम अनंत, जीवन से परे प्यार,
जहां आत्मा पाती है, वादा किया हुआ प्रकाश।
समय से परे, माया के परदे में,
हमारा प्रेम खिलता है, कभी नहीं मिटता।
पुल
दीये की लौ में, जो सदा जलता है,
तेरा चेहरा देखूं, मेरा नया जन्म शुरू होता है।
शिव और पार्वती के आशीर्वाद तले,
हम एक होंगे, अनंत काल तक।
अंतिम कोरस
ओह, प्रेम अनंत, जीवन से परे प्यार,
जहां आत्मा पाती है, वादा किया हुआ प्रकाश।
समय से परे, माया के परदे में,
हमारा प्रेम खिलता है, कभी नहीं मिटता।
समापन
ब्रह्मांड के मौन में, तेरा नाम गाऊं,
अनंत काल में, मेरा प्रेम तेरा चादर बन जाऊं।
हम प्रकाश हैं, हम तारों की धूल हैं,
जीवन से परे प्रेम, नृत्य की अनंत लहरें।